1 जनवरी को New Year न मनाये | New Year 2024 की सच्चाई
1 जनवरी को New Year न मनाये: नमस्कार आप सभी को और स्वागत है फिर से हमारे इस ब्लॉग में. आज इस आर्टिकल के ज़रिये मैं आपलोगों से एक बोहोत ही विशेष टॉपिक के बारे में बात करने वाला हूँ. पोस्ट का टाइटल पढके आपको समझ आ गया होगा की मैं किस बारे में आपलोगों से आज बात करने वाला हूँ.
जी हाँ आज मैं अंग्रेजी नए साल यानी New Year 2024 के बारे में बात करूँगा की हमें New Year 2024 क्यूँ नहीं मनाना चाहिए. और इसके पीछे की सच्चाई क्या है. तो इस बारे में संपूर्ण जानने के लिए इस आर्टिकल को ज़रूर पढ़ें.
1 जनवरी को New Year न मनाये
आपको पता है, वर्षो तक यूरोप और अमेरिका की बिच झगडा चला इस बात को लेके की 25 दिसम्बर को नया साल शुरू हो. फिर झगडे के बाद बदलके 1 जनवरी से नया साल शुरू होना बताया गया. अब 1 जनवरी से उनके यहाँ नया साल शुरू होता है. अगर इसके पीछे का कारन आप पूछो की 1 जनवरी से नया साल क्यूँ मनाया जाता है? तो इसका कारन किसीको मालूम नहीं है.
जब उनसे यह पुचा गया तो वो बताते हैं की बोहोत लम्बा झगडा चल रहा था 25 दिसम्बर और 1 जनवरी को लेके, तो 1 जनवरी नए साल की शुरुवात होने लगी.
25 दिसम्बर तो चलो फिर भी अर्थ समझमें आता है क्यूँ की उस दिन इसा मसीहा से जुड़ा हुआ है. लेकिन 1 जनवरी तो कुछ भी समझमें नहीं आता है की किस से जुड़ा हुआ है. और इसके फलस्वरूप हमारे देश में इतना बेहूदगी वाला हिसाब किताब बन गया है की 31 दिसम्बर की रात को और 1 जनवरी की सुबह देश के मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, बैंगलोर आदि बड़े सहरों में होटल बुक किया जाता है, रातभर पार्टी चलती रहती है, कान फोडू गाने बजाये जाते हैं और पता नहीं क्या सब व्येभिचार किया जाता है.
नया बर्ष मानाने का हमने पश्चिम से पूरा नक़ल कर लिया है और अपने जीवन में बसा लिया है. हमारे भारतवर्ष में अलग अलग जगहों पे नए वर्ष मानाने की अलग अलग परंपरा है. जैसे असम में नया वर्ष बिहू से शुरू होता है. तो बिहू का कोई गहरा अर्थ है हमारे समाज जीवन में, हमारे राष्ट्र जीवन में, बिहू के पीछे पूरी संस्कृति है और पूरी की पूरी सभ्यता का दर्शन है. इसके लिए बिहू है और उसके साथ नए वर्ष की शुरुवात है.
ऐसे ही पुरे देश में, चाहे वो दक्षिण हो, पश्चिम हो, उत्तर हो, या पूर्व हो आप कहीं भी चले जाओ कोई न कोई दिन ख़ास होता है नए साल की शुरुवात करने के लिए. अब पश्चिम भारत में गुजरात के लिए बोहोत महत्व का दिन है दीपावली का समय. तो दीपावली के अगले दिन से वो नए साल की शुरुआत मानते हैं. क्यूँ की व्यापर के हिसाब से वो उनका सारा हिसाब है.
पंजाब में लोहरी से नए वर्ष की शुरुआत मानते हैं. तो हमारे भारत में हर जगह नया वर्ष है. वो चाहे असम हो, गुजरात हो, तमिलनाडु हो या पंजाब हो. तो सब जगह कुछ न कुछ विशेष आधार है और उसके पीछे पूरा दर्शन है. यूरोप और अमेरिका में तो न कोई आधार है न कोई दर्शन है.
फिर भी हम उनका नक़ल करके 1 जनवरी को नया वर्ष मनाना शुरू कर दिया. हमारे यहाँ स्कूल के बच्चें अंग्रेजी में कितने महीने है और उनका नाम क्या है यह जानते है लेकिन हमारे देश में कितने महीने होते हैं और उनके नाम क्या है कोई बता नहीं पाता. जनवरी, फेब्रुअरी, मार्च सबको आता है लेकिन चैत्र, बैसाखी, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन किसीको मालूम नहीं.
और घरों में कैलेंडर भी लटका रहता है अंग्रेजी पद्धति वाला.
हिन्दू धर्म में आने वाले सभी महीने और इनकी विशेषताएं
- चैत्र: चैत्र माह से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार से चैत्र माह मार्च के मध्य में शुरू होता है और अप्रैल के मध्य में खत्म हो जाता है।
- वैशाख: वैशाख हिंदू वर्ष का दूसरा महीना होता है। ये माह करीब अप्रैल के मध्य में शुरू होता है और मई के मध्य में समाप्त हो जाता है।
- ज्येष्ठ: ज्येष्ठ हिंदी कैलेंडर का तीसरा महीना होता है। इस माह की शुरुआत मई के मध्य में होती है और जून के मध्य में इसका समापन हो जाता है। इस समय गर्मियां बहुत तेज होती हैं।
- आषाढ़: आषाढ़ मास हिंदी कैलेंडर का चौथा महीना होता है। ये अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मध्य जून से मध्य जुलाई तक रहता है। आषाढ़ माह से ही मानसून की शुरुआत होती है।
- श्रावण या सावन: श्रावण हिंदी कैलेंडर का 5वां महीना होता है। हिंदू धर्म में इस महीने को बहुत पवित्र माना जाता है, क्योंकि ये माह भगवान शिव को प्रिय होता है। ये मध्य जुलाई में शुरू होता है और मध्य अगस्त तक चलता है।
- भाद्रपद: भाद्रपद माह को भादो के नाम से भी जाना जाता है। इस माह में तीज, गणेश चतुर्थी जैसे कई प्रमुख त्योहार आते हैं। ये महीना मध्य अगस्त में शुरू होता है और मध्य सितंबर तक खत्म हो जाता है।
- अश्विन: अश्विन हिंदू धर्म का 7वां महीना होता है। अश्विन का महीना मध्य सिंतबर में शुरू होता है और मध्य अक्टूबर तक चलता है।
- कार्तिक: कार्तिक माह हिंदू धर्म का 8वां महीना होता है। ये माह मध्य अक्टूबर में प्रारंभ होता है और मध्य नवंबर तक चलता है।
- मार्गशीर्ष: मार्गशीर्ष माह हिंदी कैलेंडर का 9वां महीना होता है। इस माह को अगहन के नाम से भी जाना जाता है। इसकी शुरुआत मध्य नवंबर में होती है और ये मध्य दिसंबर तक चलता है।
- पौष: पौष हिंदू धर्म का 10वां महीना होता है। इसे पूस भी कहा जाता हैं। इसकी शुरुआत मध्य दिसंबर में होती है और ये मध्य जनवरी तक चलता है।
- माघ: माघ हिंदी कैलेंडर का 11वां महीना होता है। इसकी शुरुआत मध्य जनवरी में होती है और ये मध्य फरवरी तक चलता है।
- फाल्गुन: फाल्गुन हिंदू वर्ष का आखिरी और 12वां महीना फाल्गुन होता है। ये मध्य फरवरी में शुरू होता है और मध्य मार्च तक चलता है।
New Year 2024 की सच्चाई
रोमन (ROMAN) में कुछ शब्द होते हैं जिनका इस्तमाल SEPTEMBER, OCTOBER, NOVEMBER और DECEMBER में किया गया है.
- SEPT का मतलब है सात (7)
- OCT का मतलब है आठ (8)
- NOVEM का मतलब है नौ (9)
- DECEM का मतलब है दस (10)
तो इस हिसाब से अगर हम देखें तो SEPTEMBER का महिना होना चाहिए था सातवा, लेकिन यह अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से पड़ता है नौवा महिना.
OCTOBER का महिना होना चाहिए था आठवा, लेकिन यह अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से पड़ता है दसवा.
NOVEMBER का महिना होना चाहिए था नोवा, लेकिन यह अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से पड़ता है ग्यारवा.
DECEMBER का महिना होना चाहिए था दसवा, लेकिन यह अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से पड़ता है बारवा.
तो इसके पीछे कौन सा विज्ञानं है यह समझ के बाहर है. यहाँ जो मैंने बताया यह रोमन के हिसाब से है. तो अंग्रेजों ने रोमन से नक़ल कर के यह अंग्रेजी कैलेंडर बनाया लेकिन उसमें भी कोई लॉजिक नहीं है. तो यहाँ आप देखें की कितनी अवज्ञानिक पद्दति है गणना की. और इसका कोई अर्थ भी नहीं है.
जितने भी अग्रेज़ी विद्वानों से पुचा जाये की JANUARY का क्या अर्थ है? FEBRUARY का क्या अर्थ है? MARCH का क्या अर्थ है? इन शब्दों के पीछे कोई गहराई है क्या? इसकी कोई व्याख्या है क्या? तो इसका उत्तर आता है कुछ नहीं है.
और हमारे यहाँ हर एक नाम का एक विशेष अर्थ है. और उसके पीछे एक लम्बी व्याख्या है. वो चाहे कार्तिक हो, चाहे भाद्रपद हो, चाहे सावन का महिना हो, कोई भी महिना है उसके पीछे एक विशेष विश्लेषण है और एक आधार है. भारतीय गणना के हिसाब से महीनों के जो नाम तय गिये हैं यह विशेष अर्थ वाले हैं. अंग्रेजी नामकरण में कोई पद्धति ही नहीं है और कोई बताता भी नहीं उनके बारे में.
निष्कर्ष
तो आशा करता हूँ इस लेख 1 जनवरी को New Year न मनाये को पढके आपको New Year 2024 की सच्चाई के बारे में अच्छी जानकारी मिली होगी. मैं यह लेख 1 जनवरी को New Year न मनाये लिख रहा हूँ और कुछ मुर्ख लोग अंग्रेजी नए साल की तैयारी में कान फोडू गाने बजा रहे हैं जिससे मेरे कान फट रहे हैं. मैं आपलोगों से मिलता हूँ और एक नए टॉपिक के साथ बोहोत जल्द ही.
जय हिन्द, जय भारत.